Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड
Gulal - Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड Lyrics By Piyush Mishra Hindi 2022. Best Song Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड From Gulal Film Lyrics in Hindi & English Originally Released on YouTube. Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड Song Sung By Popular Singer Piyush Mishra,Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड Full Song Lyrics Gulal Movie By Piyush Mishra. We Offer Amazing Hindi Songs Lyrics Only on WoLyrics.com
Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड Song Gulal Details
Vocal/Singer | Piyush Mishra |
---|---|
Movie | Gulal |
Aarambh hai Prachand आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड Lyrics Gulal | Piyush Mishra
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड..
मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वोही तो एक सर्वशक्तिमान है
मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वोही तो एक सर्वशक्तिमान है
विश्व की पुकार है
ये भागवत का सार है
कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरोवों की भीड़ हो या
पांडवों का नीड़ हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान है
जीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यूँ डरें
ये जाके आसमान में दहाड़ दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड..
वो दया भाव या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव तुम ये सोच लो
वो दया भाव या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या की पुरे भाल पे जला रहे विजय का लाल
लाल यह गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केशरी हो या मृदंग केशरी हो
या कि केशरी हो ताल तुम ये सोच लो
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती मासों में आज, फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड..
आरंभ है प्रचंड..
आरंभ है प्रचंड..